दर्द का रास्ता छोड़ कर मंजिलों से हमने कहा थोडा दूर चली जाये, रास्ता कम लगता है हमारे पैरों को चलने के लिए...

Wednesday, November 18, 2009

तुम हो मेरे लिए.....


फोटो -ज्योति वर्मा (गोमती नदी )
मेरे मन की पवित्रता है तुम्हारे लिए,

मेरी आत्मा की शुद्धता है तुम्हारे लिए,

कैसे कहू की मेरा समर्पण है तुम्हारे लिए,

ज़िन्दगी को संवारना है तुम्हारे लिए ,

मेरी आँखो में असीम प्रेम है तुम्हारे लिए,

तुम कहते हो की हम दोनों नदी के दो किनारे की तरह है ,

जो प्रेम रूपी अद्भुत जल से आपस में मिले हुए साथ चल रहे है,

हमारे बीच कोई दूरी नही है हमारा प्रेम हमारे बीच बह रहा है,

कितने पवित्र हो तुम, मेरा विश्वास हो तुम,

मेरी पूरी ज़िन्दगी है तुम्हारे लिए ।

13 comments:

  1. मेरी आत्मा की शुद्धता है तुम्हारे लिए,
    कैसे कहू की मेरा समर्पण है तुम्हारे लिए


    बहुत सुन्दर भावपूर्ण उदगार
    एक पवित्र अहसास सा उमड़ता है पढ़कर !

    हार्दिक शुभ कामनाएं

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  2. कृपया वर्ड वैरिफिकेशन की उबाऊ प्रक्रिया हटा दें ! यूँ लगता है मानो शुभेच्छा का भी सार्टिफिकेट माँगा जा रहा हो ।

    बहुत ही आसान तरीका :-
    ब्लॉग के डेशबोर्ड पर जाएँ > सेटिंग पर क्लिक करें > कमेंट्स पर क्लिक करें >
    शो वर्ड वैरिफिकेशन फार कमेंट्स > यहाँ दो आप्शन होंगे 'यस' और 'नो' बस आप "नो" पर टिक
    कर दें >नीचे जाकर सेव सेटिंग्स कर दें !

    देखा ***** कितना आसान

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  3. तुम कहते हो की हम दोनों नदी के दो किनारे की तरह है ,

    जो प्रेम रूपी अद्भुत जल से आपस में मिले हुए साथ चल रहे है,

    हमारे बीच कोई दूरी नही है हमारा प्रेम हमारे बीच बह रहा है,


    in panktiyon ne man moh liya.....

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  4. सरल,स्वच्छ ,पावन प्रेम बस प्रेम ....बहुत सुंदर कविता है ..और फोटो भी सुंदर है.

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  5. कितने पवित्र हो तुम, मेरा विश्वास हो तुम,
    मेरी पूरी ज़िन्दगी है तुम्हारे लिए ।
    सुन्दर अभिव्यक्ति और समर्पण की रचना

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  6. मेरी आत्मा की शुद्धता है तुम्हारे लिए,
    कैसे कहू की मेरा समर्पण है तुम्हारे लिए
    प्रेम रस की फुहार बहुत सुन्दर बधाई

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  7. शिखा जी के शब्दों सी ही बात है मन में... सुंदर !

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  8. समर्पित प्रेम की अभिव्यक्ति सुन्दर शब्दों में

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  9. This comment has been removed by the author.

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  10. apka naya blog bahut accha hai jiss pad ker dil khus ho gaya....

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  11. उच्च कोटि की भाव विह्वल रचना है. धन्यवाद

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  12. "कैसे कहू की मेरा समर्पण है तुम्हारे लिए," beautiful line :)

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