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फोटो -सतंजय वर्मा
हमको डर है की हम खो देंगे ख़ुद को गहरीं समुन्दर की लहरों में,
बड़ा खारा है पानी इसका मन की परतों पर घर न बसा ले कहीं ,
हमको डर है कि कहीं छू न ले हमे ये नमकीन पानी
हमने बुने है नाज़ुक सपने अपनी पलकों पर,
हमको डर है तेज़ ज्वार बहा न ले जाए उनको,
जब पहली बार समुन्दर को पास से देखा तो पाया गज़ब का आकर्षण
हमको डर है कि फस न जाए कहीं भवंर की तरह,
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