दर्द का रास्ता छोड़ कर मंजिलों से हमने कहा थोडा दूर चली जाये, रास्ता कम लगता है हमारे पैरों को चलने के लिए...

Thursday, October 22, 2009


सच कहने को हम हमेशा तैयार है। हमको १८ सालों में जितना अनुभव उतना किसी को नही है। हमने पत्रकारिता को नए आयाम दिए है। हम है राष्ट्रीय सहारा। हमने सोचा की चलो हम सबसे पूछे की हम क्या अपने पेपर में बदलाव ला सकते जो इसके पुरे रूप को बदल दे और ये नम्बर १ बन जाए। हम चाहते है की लोगो का विश्वास हम जीत ले ताकि लोगो को सच्चाई का पता चल सके। हम इतना अटूट विश्वास बनाना चाहते है जो कभी टूटे नही। लेकिन मेरा दिल कहता है एक दिन ज़रूर आयेगा जब हम नम्बर १ हो जायेंगे।