दर्द का रास्ता छोड़ कर मंजिलों से हमने कहा थोडा दूर चली जाये, रास्ता कम लगता है हमारे पैरों को चलने के लिए...

Wednesday, January 20, 2010

ज़िन्दगी एक सफ़र है सुहाना...मेरी नज़र से देखो...ज्योति


चलो गंगा माँ के नीर में बहते हुए कहीं चलते है.........

तो हम पहले गंगा माँ के मंदिर के दर्शन करले....












ये कश्ती वाला क्या गा रहा है ?


गंगा के तन को छूती सूरज की किरणे... दूर तक निगाह में रोशनी की नदी...




गंगा का सुन्दर किनारा... शांत और निश्छल...
मंदिर में झांकता सूरज...
ये भाई साहब हमको देख कर बोले 'मेरी भी फोटो ले लो ना !' किन्ना सोना लग रहा है!!
भूख बहुत लगी है!! तो चलते है लखनऊ नवाबो के शहर में.....
लखनऊ की जामा मस्जित का सुन्दर नज़ारा
हमारी नजरो से देखो जीविता नज़र आएगी..........
लखनऊ के सडको पर मोरनी बेफिक्र होकर घुमती है....तुम अपने दिल की धडकनों को गिन के बता!
तो चलते है इनके साथ कहीं दूर....

हम आ गए है बहते हुए जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क...हर तरफ शांति और कुदरत का संगीत, सुन्दरता के दर्शन॥

नज़र और पनाहों के खातिर ये न होते तो कुछ भी न होता॥


कोई है यहाँ पर? खोजों !!!!








दिन में उल्लू !
हमको देख कर शरमा गए और मुह फेर लिया....



तूम अपने रास्ते हम अपने...फिर कब मिलेगो? जब तुम कहोगे... गजनी ने गज राज से कहा.... सच में हमने सुना था!!!








बचना ये हसीनो लो मैं आ गया!!



कहते है जहाँ हम होते है वहां कियो नहीं दीखता है...






दूर वहां से तेरा नूर दिखता है... आ गए नैनीताल







क्या सोच रहे है? सुन्दर है ना!!




एक साथ इतने लोग सडक पे आ गए भाई हम तो फंस गए!!!!










बहुत दिन से नहाया नहीं होगा अपने तो इनसे कुछ सीखो जाके नहा लो!







रुके रुके से कदम रुक के बार बार चले....
करार दे के बेकरार होके चले...
न जाने हमको कहाँ ले जायेंगे ...


ज्ञान की देवी माँ सरस्वती के कुछ रूप जो हमने देखे आज- ज्योति

आज मुकुल सर ने कहा की हर त्यौहार को जीना चाहिए इसलिए हमने सोचा चलो आज बसंत पंचमी को जी जाये।
आज बसंत पंचमी है और माँ सरस्वती की पूजा भी बड़े धूमधाम के होती है। हमने अक्सर ध्यान दिया होगा की आजकल लोग हर चीज़ के लिए लोग अपनी आपत्ति करते रहते है कभी वन्दे मातरम को लेकर तो कभी माँ सरस्वती की वंदना के लिए। अपने शहर लखनऊ में आपको हर गली मोहल्ले में हनुमान जी, शिव जी, शनिदेव और माँ दुर्गा के मंदिर मिल जायेंगे पर ज्ञान की देवी माँ सरस्वती का मंदिर ढूढ़ना पड़ता है। आज हमने भी सोचा चलो माँ के दर्शन कर आते है पर माँ का मंदिर शहर में कहा है नहीं पता था। हमने अपनी दोस्त अर्चना से पूछा तो उसने कहा की उसको एक मंदिर पता है जो काफी पुराना है। हमने कहा चलो चलते है। हमने माँ की अद्भुत प्रतिमा देखी जो आप भी देखिये-









लखनऊ के सबसे पुराने एक मात्र माँ सरस्वती की प्रतिमा है जो दर्शनीय है।


















ये मंदिर पक्का पुल के पास शुक्ल घाट पर स्थित है। कहते है की लखनऊ विश्विधायालय के हनुमान सेतु के हनुमान जी और लखनऊ मेडिकल कॉलेज की माँ सरस्वती। जहाँ कॉलेज के ज़्यादातर छात्र-छात्राए आशीर्वाद लेने आते है। अपनी अपनी आस्था है। आज सबने माँ से विद्या, सफलता, और सुख की कामना की होगी पर क्या किसी ने इनके लिए भी कुछ माँगा होगा








ये मासूम जो सडको पर अपना बचपन बिता रहे है।









ये वफादार दोस्त जो नाली में पल रहे है।









ये गरीब जो जाड़े में बिना कपड़ो के ठुठुर रहे है।
चलो! मिल कर हम आज इनके लिए प्रार्थना करे और बसंत पंचमी को जी ले !!!!!!!!!!!!!