दर्द का रास्ता छोड़ कर मंजिलों से हमने कहा थोडा दूर चली जाये, रास्ता कम लगता है हमारे पैरों को चलने के लिए...

Sunday, November 22, 2009

मन कहता है .........


फोटो एडिटेड -ज्योति
ऐसे तो नही थे हम जैसे रहने लगे है

तन्हाई से थी दोस्ती हमारी अब उससे ही डरने लगे,

रुकना नही चाहते थे किसी के लिए ,

बस यूँ ही रुक कर किसी का इंतज़ार करने लगे ,

छूना चाहते है आसमान पर किसी की चाहत की में डूबने लगे,

हमको पता है इन रास्तो की नही है मंजिल,

सच्चाई को रास्ते में छोड़ कर आगे बढ़ने लगे,

यादों के कारवां को तकिया बनाकर सोने लगे,

शायद तुम कभी न समझ पाओगे हमे,

हम तो बस तेरे रंग में रंगने लगे,

दुनिया की सारी खुशिया तेरे लिए ,

हम तो अब तेरे संग जीने लगे।