फोटो एडिटेड -ज्योति
ऐसे तो नही थे हम जैसे रहने लगे है
तन्हाई से थी दोस्ती हमारी अब उससे ही डरने लगे,
रुकना नही चाहते थे किसी के लिए ,
बस यूँ ही रुक कर किसी का इंतज़ार करने लगे ,
छूना चाहते है आसमान पर किसी की चाहत की में डूबने लगे,
हमको पता है इन रास्तो की नही है मंजिल,
सच्चाई को रास्ते में छोड़ कर आगे बढ़ने लगे,
यादों के कारवां को तकिया बनाकर सोने लगे,
शायद तुम कभी न समझ पाओगे हमे,
हम तो बस तेरे रंग में रंगने लगे,
दुनिया की सारी खुशिया तेरे लिए ,
हम तो अब तेरे संग जीने लगे।
यादों के कारवां को तकिया बनाकर सोने लगे,
ReplyDeleteशायद तुम कभी न समझ पाओगे हमे,
हम तो बस तेरे रंग में रंगने लगे,
waah bahut khub,sunder ehsaaon se bhari rachana.
रुकना नही चाहते थे किसी के लिए ,
ReplyDeleteबस यूँ ही रुक कर किसी का इंतज़ार करने लगे ,
मुड कर ताकना ठीक नहीं बार बार ..तू कदम से कदम मिला ले तो साथ चलूँ ...कुछ गलत कहा मैंने ..??
nahi ji bilkul sahi kaha apne. thanks
ReplyDeleteदिल से लिखी हुई रचना
ReplyDeleteअच्छा लिखती हैं आप
मन के ख्यालों को अच्छे शब्द दिये आपने
ReplyDeleteतन्हाई से थी दोस्ती हमारी अब उससे ही डरने लगे...sundar panktiyan hain..
ReplyDeleteaaakhiri ki panktiyon ne dil chhoo liya....
ReplyDeleteaisa laga ki bahut dil se likha hai...yeh shabd ...shabd nahin hain...dil ki awaaz hai...
mere andar tak yeh kavita utar gayi....
bahut hi behtareen shabdon ke saath bahut hi behtareen kavita.....
VERY VERY NICE BLOG.......and nice thinking..
ReplyDeleteअच्छे भाव हैं
ReplyDeleteलाजवाब पंक्तियाँ
ReplyDeleteबढ़िया प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई.
ढेर सारी शुभकामनायें.
संजय कुमार
हरियाणा
http://sanjaybhaskar.blogspot.com
Email- sanjay.kumar940@gmail.com
ek dil ki baat jo ek dilwaala/dilwaali hi samjh sake. bahut sundar.
ReplyDelete"हमको पता है इन रास्तो की नही है मंजिल,
ReplyDeleteसच्चाई को रास्ते में छोड़ कर आगे बढ़ने लगे,
यादों के कारवां को तकिया बनाकर सोने लगे,
शायद तुम कभी न समझ पाओगे हमे,
हम तो बस तेरे रंग में रंगने लगे,
दुनिया की सारी खुशिया तेरे लिए ,
हम तो अब तेरे संग जीने लगे। "
लगता है, ये तो आपने सच्चाई सीधे सीधे कह दी.
आपके इस ब्लॉग पर आना मन को आनंदित कर गया.
हमको पता है इन रास्तो की नही है मंजिल,
ReplyDeleteसच्चाई को रास्ते में छोड़ कर आगे बढ़ने लगे,
यादों के कारवां को तकिया बनाकर सोने लगे,
शायद तुम कभी न समझ पाओगे हमे,
हम तो बस तेरे रंग में रंगने लगे,
दुनिया की सारी खुशिया तेरे लिए ,
हम तो अब तेरे संग जीने लगे।
ye lines bahut acchi hai
Itni tareef ki ja chuki hai ki mera kuch kahna repetition lagega. Fir bhi, dil ke kafi kareeb gayi aapki ye kavita...behad nazuk aur behad roohani...shabd-shabd shringar hain...
ReplyDeleteshukriya jyoti ji.
ReplyDeleteaapka hi asar hai jo maa ko itni kareeb se dekhne ka man kiya..
Sare dukh nahin, sari khushiyon ki haqdar hain aap. Har koi aisi nayab soch nahi rakhta...
ReplyDeleteहमको पता है इन रास्तो की नही है मंजिल,
ReplyDeleteसच्चाई को रास्ते में छोड़ कर आगे बढ़ने लगे,
waah...bahut hi sundar likha hai aapne
badiya aapki ek aur behatrin rachna mujhe comment karne ke liye thanx
ReplyDeleteaap bahut achchaa likh rahi he
ReplyDeleteबेहतरीन ब्लॉग.. खूबसूरत ख्याल
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