दर्द का रास्ता छोड़ कर मंजिलों से हमने कहा थोडा दूर चली जाये, रास्ता कम लगता है हमारे पैरों को चलने के लिए...

Tuesday, November 3, 2009

ये मेरा घर, ये तेरा घर

ये तस्वीर है एक सुंदर घर कि जहाँ पर पर सब कुछ है सुन्दरता है, शान्ति है अपनेपन का अहसास और सुरक्षा का विश्वास। सुंदर घर का सपना हर कोई बुनता है पर सिर्फ़ अपने लिए .......सब सोचते है कि एक आलीशान महल सा घर, सबसे महंगी कार और सारे महंगे उपकरण जो आजकल उपयोग किए जाते है उनके पास हों। सबको सिर्फ़ अपनी ज़रूरतों को पूरा करने से फुर्सत नही मिलती है कि एक पल को इनकी तरफ़ भी देखे......


(ये सब तसवीरें हमारे कैमरे की कृति है)



ये मुंबई कि सड़कों पर रहने वाले एक गरीब परिवार कि तस्वीर है। यहाँ पर न सुन्दरता है न शान्ति, न खाने को खाना है, न बिछाने को

चादर।

यहाँ पर है तो सिर्फ़ वाहनों से आता शोर और पुलिस का डर कि कब वो इसको उजाड़ दे। हर रोज़ हम इनके सामने से गुज़रते है पर कुछ लोग ही इनकी तरफ़ ध्यान देते है। आज के दौर में हम इतना ज़्यादा अपने लिए जीते है कि किसी और का ख्याल तक नही रहता है। अगर हम ज़रा सी कोशिश करे तो यह धरती सबके लिए जन्नत हो जाए बस इतना सोचे "जियो और जीने दो " साथ चल कर हम दूर तक का सफर बड़ी आसानी से पूरा कर सकते है। सोचिये कि दुनिया में हर कोई एक समान है सबको बराबर हक मिला है, सब खुश है, सबको अपनी योग्यता के अनुसार जगह मिली है तो बताइए कि समस्या कहा होगी। शायद कही कोई प्रॉब्लम रहेगी ही नही। बस थोड़ा सा टाइम निकाल कर हमको सबके लिए सोचना होगा।