दर्द का रास्ता छोड़ कर मंजिलों से हमने कहा थोडा दूर चली जाये, रास्ता कम लगता है हमारे पैरों को चलने के लिए...

Wednesday, November 18, 2009

तुम हो मेरे लिए.....


फोटो -ज्योति वर्मा (गोमती नदी )
मेरे मन की पवित्रता है तुम्हारे लिए,

मेरी आत्मा की शुद्धता है तुम्हारे लिए,

कैसे कहू की मेरा समर्पण है तुम्हारे लिए,

ज़िन्दगी को संवारना है तुम्हारे लिए ,

मेरी आँखो में असीम प्रेम है तुम्हारे लिए,

तुम कहते हो की हम दोनों नदी के दो किनारे की तरह है ,

जो प्रेम रूपी अद्भुत जल से आपस में मिले हुए साथ चल रहे है,

हमारे बीच कोई दूरी नही है हमारा प्रेम हमारे बीच बह रहा है,

कितने पवित्र हो तुम, मेरा विश्वास हो तुम,

मेरी पूरी ज़िन्दगी है तुम्हारे लिए ।