दर्द का रास्ता छोड़ कर मंजिलों से हमने कहा थोडा दूर चली जाये, रास्ता कम लगता है हमारे पैरों को चलने के लिए...

Thursday, July 29, 2010

चल चलें अपने घर.....


ज़िन्दगी इतनी तेज़ दौड़ी की हम पिछड़ गए,

आँखों से झलका दरिया और गले से सागर निगल गए,
ह्रदय का तूफ़ान इतना जोर से उठा
कि भीड़ में हम तनहा हो गए,

लगा लिया है हमने अपने अपनों का मेला
बस हम सिर्फ अपने खून को भूल गए,

रिश्तों की चादर बिछा कर वीरनों में सो गए,
कहते है कि वक़्त नही है हमारे पास किसी से मिलने का,

यही कहते हुए न जाने कितना वक़्त बर्बाद कर गए,
नही लगता दिल अब इस दुनिया में ,
आओ यारों अब अपने घर चलें.......

Friday, July 2, 2010

देखो मैंने देखा है एक सपना..........


हम रोज़ एक सपना आँखों में रखके सोते है और नींद में सपने को पूरा होते हुए देखते है। खोयी खोयी सी ज़िन्दगी में सपने जीने की नयी चाह बनते है।

सुरमई अंखियों में नन्हा मुन्ना एक सपना दे जा रे !

निंदिया के उड़ते पाखी रे ,अंखियों में आजा साथी रे !

रा री रा रम ओ रा री रा ...

सच्चा कोई सपना दे जा

मुझको कोई अपना दे जा .... ....

हम अक्सर सपना देखते है कि हम परीक्षा कक्ष में बैठे परीक्षा दे रहे है ,सारे लोग पेपर सोल्व कर चुके है पर हम अभी एक भी प्रश्न का उत्तर नही दे पाए है। दर के मारे कि फेल हो जायेंगे ....हर संभव कोशिश करते है पर असफल ही रहते है। टीचर कॉपी छीन कर ले जाते है।उठने के बाद लगता है कि सारी रात हम यही सपना देखते रहे। ऐसे ही न जाने कितने सपने हम देखते है भूल जाते है।

सपने तो हमारी कल्पनाये है जो हम जागती हुई आँखों से बुनते है और नींद में देखते है। सपनों की बड़ी अनोखी दुनिया है जो मनुष्यों से लेकर पशुओ तक में पाई जाती है। कुछ सपने जो सामान्यतया सभी देखते है जैसे -कार समस्या ,एक्सीडेंट , किसी मशीनरी में कुछ खराबी , गाडी या प्लेन का छूटना ,टेस्ट में फेल होना ,किसी प्रियजन की मृत्यु या बीमार देखना ,कोई आपका पीछा कर रहा है, दांतों का टूटना, बिना कपड़ों के खुद को देखना या मिसमैच कपडे , किसी ऊँचे स्थान से गिरना या पानी में डूबना आदि । कभी कभी बड़े अजीबो गरीब सपने देखते है जैसे आकाश में उड़ना, पानी पर चलना , हवा में तैरना । ये सब हम सपनो में बड़ी आसानी से करते है। कहते है खुली आँखों के सपने सच हो जाते है।

सपने में ख़ुशी -गम , दर्द -चोट ,बीमारी ,आवाज़ सुनना ,स्वाद लेना ,देखना ,स्पर्श करना ,सुघाना आदि तमाम अहसासों को हम महसूस करते है। दर्द भरे सपने में हम विलाप करते है तो भय या डरावने सपने में हम अन्दर तक डर जाते है। लगता है सच में हमारे साथ कुछ बुरा हुआ है।

हमने जो भी प्रगति की है वो अपने सपनो की वजह से । हर कामयाम आदमी सपने देखते है । वे लोग बसंत की सुनहरी सुबह में और गर्मी की सुर्ख लाल शाम में सपनो बुनते है।

हममे से कुछ अपने सपनो को मर जाने देते है । पर कुछ लोग अपने सपनो का पोषण करते है अपने बुरे दिनों में देखे हुए महान सपनो को अच्छे दिनों की सुनहरी किरण और रोशनी में पूरा करते है।

सपने हमारे चरित्र की कसौटी है। जब हम अकेले सपना देखते है तो यह केवल एक सपना है, पर जब हम दूसरों के साथ सपना देखते है तो यह वास्तविकता की शुरुआत है। जब तक हम सपना नही देखते तब तक कुछ भी साकार नही होता ।

अच्छा हम में से कितने लोग है जो पिछली रात में देखे गए सपनो को याद करके उनका विश्लेषण करते है? शायद .....पता नही !

हमे अपने सपनो की व्याख्या खुद ही करनी चाहिए। हमारे सपने उतने ही सरल और असंभव कल्पना के होते है जितने हम खुद होते है। हम स्वयं अपने सपनो के हीरो होते है।

नींद में ,कल्पना सपनों का रूप ले लेती है। पर जागते हुए भी हम चेतना की दहलीज पर सपनों को देखते रहते है। अगली सुबह आँखों में एक सपना लेकर उठते है।

सपना एक विशुद्ध कल्पना है। अगर यह रचनात्मक शक्ति हर किसी के पास जगाने के बाद भी उपलब्ध हो तो हर कोई शेक्सपियर और दांते बन सकता है। सपने स्वतंत्र होते है इसीलिए अपने सपनों को मुक्त कर दो। सपनो में आप कभी अस्सी साल के नही हो सकते। सपनों के कुछ रंग है जो जागते स्पेक्ट्रम में मौजूद नही होते। अगर आप मीठे सपने देखना चाहते है तो पहले आप अपनी लाइफ को स्वीट बना ले।

कुछ भी कह लो सपनों की दुनिया बड़ी अद्भुत और सुनहरी होती है। सपनों को लेकर कवियों ने ना जाने कितनी कवितायेँ और गीत लिखे होंगे। सपने हमारी आशा की किरण होते है जो हमे जीवन जीने की अभिलाषा को बनाये रखते है। एक बड़ा सपना अपनी आँखों में हमेशा रखना चाहिए।

पृथ्वी के अलावा दुसरे प्लानेट पर बसने ,मृत्यू के बाद जीवन, ईश्वर के अस्तित्व को खोजना, अमरत्व को प्राप्त करना ....और बहुत से सपने ही है जो मनुष्य पूरा करना चाहता है। क्योकि मनुष्य की कल्पना अनंत है तो सपने भी असीमित और स्वच्छंद है।