भोपाल के I.A.S. दंपत्ति के सरकारी आवास से करोड़ों रुपये,विदेशी मुद्रा ,जेवर आयकर विभाग ने छापा मार कर बरामद किये । घूसखोरी से जमा किये ये रूपये इनके सत्कार के लिए हम लोगों ने ही दिया होगा। पता नही क्यों इनको पुरस्कार नही दिया गया, ये सम्मान के हक़दार है क्योकि सिस्टम थोड़ी न खराब है इन्होने बस इसे लचीला बना दिया है। हर रोज़ हम लेने देने के चक्कर में पड़ते रहते है। चपरासी से लेकर बड़े अधिकारी, मंत्री जी सब टेबल के नीचे से खाने में नही हिचकते। अगर आप ऐसा नही करते तो जल्दी शुरू कर दीजिये नही तो सिस्टम से बाहर हो जायेंगे। पैसा कमाने का नशा एक बीमारी बन कर पुराने सिस्टम को ध्वस्त कर दिया है। भ्रष्टाचार सिस्टम का जन्म हुआ है। कहते है कि अगर एक सिस्टम को 90% मनुष्यों द्वारा अपना लिया जाये तो बाकी १० % को भी उसे follow (अपनाना) करना चाहिए। इससे ये सिस्टम सार्वभौमिक व्यवस्था बन जाएगी। फिर भ्रष्टाचार कहीं नही रहेगा। भ्रष्टाचार, घूसखोरी की मजबूत नाव में बैठ कर आप दुनिया का 'कमोर्शियल (commercial) अत्याचार' सहन करते हुए भवसागर को पार कर लेंगे पर सत्याव्रती की टूटी नाव से बीच में ही डूब जायेंगे। समय रहते जल्दी मजबूत नाव पर सवार हो जाये नही तो आपका कुछ नही हो सकता। भारतीय दंड संहिता की धारा १७१ में जो लिखा है उससे डरिये नही ये तो सिर्फ किताबों में लिखी मिलती है असल में इनके कोई मायने नही है। वास्तविक वेतन से आप अपना घर चला नही सकते ना.... वैसे आप थोड़े न लेते है वो लोगो का प्यार है जो आपके सत्कार में कुछ चढ़ावा दे जाते है।अपनी गोष्ठी लगा कर घूसखोरी पर चर्चे करो बहस करो पर इसकी जड़ों को मत काटना , नही तो सिस्टम बिगड़ जायेगा। हम तो पूरे सम्मान से घूस लेंगे और देंगे। इस सिस्टम को अपना कर आप जल्द ही अमीर बन जायेंगे और समाज में आपका नाम होगा। बहुत जल्दी आप दुनिया में भी अपना परचम लहरायेंगे। तो आइये हम सभी कान में रुई डालकर अंधे बन जाये और जीवन को सफल बनाये । 'जय हो भ्रष्ट सिस्टम की' !!!
'जय हो भ्रष्ट सिस्टम की' !!
ReplyDeleteआम आदमियों के लिए होती हैं धाराएं १७१
ReplyDeletejai ho....jai ho....jai ho......!!ham bhrashatan ke...sab bhrasht hamaare.....!!
ReplyDeletejai ho jai ho
ReplyDeleteशर्म आनी चाहिये.......इस सिस्टम को
ReplyDeletejai ho...
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