दर्द का रास्ता छोड़ कर मंजिलों से हमने कहा थोडा दूर चली जाये, रास्ता कम लगता है हमारे पैरों को चलने के लिए...

Wednesday, November 4, 2009

मेरा साया

दुनिया एक समुन्दर है तैरना आता नही हमको,


फोटो -सतंजय वर्मा





हमको डर है की हम खो देंगे ख़ुद को गहरीं समुन्दर की लहरों में,


बड़ा खारा है पानी इसका मन की परतों पर घर न बसा ले कहीं ,





हमको डर है कि कहीं छू न ले हमे ये नमकीन पानी
हमने बुने है नाज़ुक सपने अपनी पलकों पर,

हमको डर है तेज़ ज्वार बहा न ले जाए उनको,


जब पहली बार समुन्दर को पास से देखा तो पाया गज़ब का आकर्षण


हमको डर है कि फस न जाए कहीं भवंर की तरह,


फोटो एडिटेड -ज्योति वर्मा

3 comments:

  1. हमको डर है की हम खो देंगे ख़ुद को गहरीं समुन्दर की लहरों में,


    hmmm.......... bahut achcha laga padh kar.......

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  2. बहुत ही अच्छी तसवीरें हैं, और लिखा भी काफी अच्छा है, आपके लेखन में दार्शनिक touch है.

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  3. hamai to pata hi nahi tha ki ap itne acche blog likhti hai...gud such a nice blog

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