हर लड़की अपनी ज़िन्दगी जीना चाहती है।
कुछ कम कुछ और कम माँगती है।
हर कोई लिखता है उसके ऊपर,
हर श्ख्क्स सोचता है उसके लिया,
तो कौन बेबस बनता है उसको।
कभी कभी औरत के ऊपर पढ़ पढ़ कर जी दुखी हो जाता है। न जाने कितना लिखा पढ़ा गया होगा उसके ऊपर पर क्या सच में कोई उसको पहचान पाया है। अजीब पहेली है यह औरत। वोह न दुखी है न परेशान । हारी है ख़ुद से तो किसी को दोषी क्या बनाना।
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