दर्द का रास्ता छोड़ कर मंजिलों से हमने कहा थोडा दूर चली जाये, रास्ता कम लगता है हमारे पैरों को चलने के लिए...

Wednesday, September 9, 2009

नया अनुभव

हर रोज़ कुछ नया अनुभव ज़िन्दगी में होता है। आजकल हम हमेशा कुछ नया देखते है। शायद हमको ज़िन्दगी अब चलना सिखा रही है। अपनी राहों को अभी तक हमने समेट कर रखीं थी पर अब उन राहों को फैला कर चलने का समय आ गया है। हम हमेशा सिर्फ़ अपने बारे में सोचते है जब राहों से गुज़रते है तो अपनी आँखें बंद कर लेते है। कोई भी द्रश्य हमको सोचने पर मजबूर नही कर पता। सबको टेंशन होता है पर किसी अच्छी वजह से नही बल्कि अपने काम की वजह से। मेरे मन दुखी होता है जब मैं किसी पशु को नाली में अपनी प्यास बुझाते देखते है या प्लास्टिक की पन्नी खाते देखते है। क्यों हम उन पर अत्याचार कर रहे है। क्यों हमारी आंखें नही खुलती है। शायद हम ज़्यादा समझदार हो गए है। देख कर चीजों को नही देखते है। जब हम कॉलेज में थे तो मैं कुत्तो को बिस्कुट खिलते थे। अगर हम अपने साथ इन बेजुबानो की कुछ फिकर करें तो क्या हर्ज है।

1 comment:

  1. achhi baat hai,umeed karta hoon log apki bhavnayon ko smajhenge.

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