अति का भला न बोलना, अति की भली न चूप।
अति का भला न बरसना, अति का भली न धूप॥
अति का भला न बरसना, अति का भली न धूप॥
कबीर जी ने कहा है कि कभी ज्यादा बोलना नही चाहिए । हम बिना सोचे समझे,जाने बूझे कुछ भी बोलते रहते है जो बिलकुल सही नही है। ऐसी वाणी में तेज़ नही होता है । आपकी वाणी सत्य, मधुर ,और हितकारी हो जो ज्ञान के मधुर शब्दों से युक्त हो। जहाँ जिस विषय का ज्ञान न हो वहां पर कदापि नही बोलना चाहिए। ऐसे समय पर दूसरों को सुनना ज्यादा लाभदायक होता है।
कहते भी है कि अच्छा वक्ता होने के लिए अच्छा श्रोता हो ज़रूरी है। सामने वाले की बात पूरी होने से पहले नही बोलना चाहिए। जब आपके गुरु जन बोल रहे हो तो आपको चाहिए कि आप अपना दिमाग को पूरी तरह से खाली कर ले, क्योकि खाली पात्र में ही कुछ रखा जा सकता है। उस समय तर्क वितर्क नही करना चाहिए।
जब आपके माँ पिताजी कुछ कह रहे हो तो सहज ही स्वीकार कर लेना चाहिए। क्योंकि उनकी वाणी आपके लिए अमृत समान होती है। बिना सोच समझे उनके बताये रास्ते पर चलना चाहिए।
अच्छा अब आप सोच रहे होंगे कि क्यों तुम इतनी देर से बोल रही ?
हम जानते है कि ये सब कुछ आप जानते है । हमे पता है कि आप बहुत कुछ अमल भी करते है ।
हम आपसे एक बात पूछते है कि ईश्वर तो कभी हमसे संवाद नही करते ,कभी नही बोलते परन्तु हम उसको ही सर्वशक्तिमान मानते है उनसे डरते भी है !
एक बात हमने ज़रूर महसूस की है कि शब्दों में बड़ी शक्ति होती है। दिल से कही हुई हर बात सच हो जाती है। प्राचीन काल में ऋषि, योगी जन वाणी से श्राप देते थे और मनुष्य को उसको भोगना पड़ता था। आज भी ऐसा होता है पर ज्यादा बोलने के कारन लोगो की वाणी ने अपना तप ,ओजस्विता खो दिया है। इसीलिए हमेशा सोच समझकर बोलना ही उचित है।
अब हम आपको एक बात बताये कि हमारे घर पे जो भैय्या भोजन बनाते है उनका नाम है जोशी भैय्या।हमने कई बार उनको कहते सुना है कि हमने खाना उबाल दिया है जिसको हो वो खाए। अब उनके कहे अनुसार खाने का क्या स्वाद होता होगा वो आप खुद ही जान गए होंगे!
आज लोगो में वैचारिक दोषों के साथ वाणी दोष तो चरम पर है। कुछ भी किसी के लिए बोल दिया जाता है। किसी के स्वर्ग सिधारने पर लोग कहते है कि फलाने टपक गए है। और बात बात पर ने जाने कितनी गाली देते है और कहते है कि ये तो आज का टशन है।
ज्यादा बोलना और सोचना दोनों ही ठीक नही है।
मौन रहिये सारी समस्या का हल खुद ही निकल आएगा।
मौन रहिये सारी समस्या का हल खुद ही निकल आएगा।
जैसे पेड़ में लगे फल अगर सहज पके तो ज्यादा स्वादिष्ट और मीठे होते है वैसे ही काल ,पात्र और स्थान देख कर बात करनी चाहिए।
बोलना ही नही मौन उससे भी शक्तिशाली है।
बोलना ही नही मौन उससे भी शक्तिशाली है।
बहुत बढ़िया प्रस्तुति .......
ReplyDeleteपढ़े और बताये कि कैसा लगा :-
(क्या आप भी चखना चाहेंगे नई किस्म की वाइन !!)
http://thodamuskurakardekho.blogspot.com/2010/09/blog-post_22.html
बहुत बढ़िया
ReplyDeleteबहुत सार्थक पोस्ट है कल ही इस विषय पर मेरे पास एक पंजाबी लेखक की पुस्तक आयी है। उसका शीर्शक है
ReplyDeleteपाती अडिये बाजरे दी मुठ
अर्थात जैसे बाजरे की मूठ डालो तो कबूतर चले आते हैं इसी तरह आपकी वाणी लोगों को आकर्शित करती है। आपका आलेख बहुत अच्छा लगा। धन्यवाद।
bhut khoob mam.....
ReplyDeletemera blog bhi pde aur apni rai jaroor de..
sachmuch maun maayne gahare hain.... achhi post
ReplyDeletemaine ab font sudhara hai.....aapko samay ho to plz zarur padhe......thanx
ReplyDeleteआपकी बातें बहुत अच्छी और सच्ची हैं.
ReplyDeleteज्योति की तरह अंतस को जगमग जगमग
करने वाली हैं.
सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार,ज्योति जी.
मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है.
शुक्रिया लिंक के लिए।
ReplyDeleteअच्छा और सार्थक लेखन।
लगातार लिखते रहें।
शुभकामनाएं आपको।
मेरे ब्लाग पर आपका स्वागत है.....
शब्दै मारा गिर पड़ा शब्दै छोड़ा राज।
ReplyDeleteजिनहिं शब्द विवेकिया,तिन का सरिगौ काज॥
कई महिनों से आपका ब्लॉग अपडेट नहीं हुआ है, अपडेट कीजिए, पढेगें।
आभार
ज्यादा बोलना और सोचना दोनों ही ठीक नही है।
ReplyDeleteमौन रहिये सारी समस्या का हल खुद ही निकल आएगा।
pahle line to sai hai, par maun rahna..........na jee na...ye nahi bhaya:)
bahut behtareen post hai aapki!!
aaj pahlee baar aaya, follow karna pada:)
बेशक.
ReplyDeleteबोलना नही मौन उससे भी शक्तिशाली है।
ReplyDeleteस्थान देख ही कर बात करनी चाहिए।
Apke is pyare blog ka link HBFI
ReplyDeletehamare sjha blog par lagaya ja raha hai ,
You are invited in bloggers' meet weekly.
Please see
ReplyDeletehttp://hbfint.blogspot.com/
bahut sundar post, pahali baar parichay hua lekin sarthak raha.
ReplyDeletebahut achchi post!
ReplyDeletebahut hi spasht aur satya se purn aalekh...
ReplyDeleteसही बात...ज्यादा बोलने से बेहतर होता है ज्यादा सुनना...
ReplyDeleteसुनने से बहुत कुछ सीखा जा सकता है
बहुत अच्छी बात कही आपने.
ReplyDeleteबहुत ही अच्छी और ज्ञान की बात कही आपने ...आभार ।
ReplyDeleteमैने आप का पोस्ट आज पहली बार पढ़ा हैं
ReplyDeleteपढ कर बहुत अच्छा लगा कृपया अपने हर पोस्ट का लिंक मुझे मेल कीजिये
mukeshbabukain@gmail.com
धन्यवाद