दर्द का रास्ता छोड़ कर मंजिलों से हमने कहा थोडा दूर चली जाये, रास्ता कम लगता है हमारे पैरों को चलने के लिए...

Tuesday, January 26, 2010

मीडिया का बदलता स्वरुप और हम ....ज्योति वर्मा

मीडिया और आम आदमी का क्या रिश्ता है?
हम हमेशा से यही सोचते रहे है की हमको जागरूक और ज़िम्मेदार नागरिक बनाने के लिए सम सम्यायिक जानकारी होनी चाहिय ,इसीलिए मीडिया इस कार्य के लिए उपयुक्त साधन है। स्वतंत्रता से पहले मीडिया आज़ादी के लिए लड़ने का साधन थी , अब वही मीडिया infomedia, infotainment media,new media के रूप में जाना जाता है। सूचना प्रौधोगिकी के युग में मीडिया महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। digital world, cyberculture, virtual society, globlal villege आदि आधुनिक concept न्यू मीडिया की ही देन हैं। न्यू मीडिया के माध्यम से हम एक क्लिक करते ही दुनिया के किसी भी कोने की जानकारी पा सकते है।
Information Technology ने मीडिया को और शक्तिशाली बनाया , जिससे वैश्वीकरण के युग में मीडिया जनसंचार का सशक्त माध्यम बना । मीडिया के दुअरा सामाजिक ,आर्थिक, राजनितिक बदलाव और सुधारो के लिए आपर सम्भावनाये है।
मीडिया के रूप है प्रिंट मीडिया और इलेक्ट्रोनिक मीडिया ,वेब पोर्टल ।
सोचने की बात सिर्फ इतनी है कि वैश्वीकरण के दौर में मीडिया का भी बाजारीकरण हो गया है। और इस दौर में मीडिया की भूमिका ही बदल गयी या फिर मीडिया अपना मूल उद्देश भूल कर भटक गया है। आज मीडिया का एक वर्ग विशेष जनहित के बजाये अपना हित बनाने में लगा है। nose for news, ethics of journalism, Public interest, authenticity सब कुछ दर क़िनार करके मीडिया ने अलग राह अपना ली है
ज़िम्मेदार कौन?
मसाले दार न्यूज़ ,सनसनीखेज खबरे ,अजीबो ग़रीब करतब, स्टिंग ऑपरेशन को आज मीडिया जो दिखा , बता रहा है उसके ज़िम्मेदार हम है क्योकि कही न कही हम ऐसा ही चाहते है। याद कीजिये जब कारगिल का युद्ध हो रहा था तब उसी समय फिल्मस्टार विवेक ओबेरॉय ने एक प्रेस कांफेरेंस की थी (मामला सलमान खान का था की वो विवेक को बार बार फ़ोन कर रहे थे ) तब उस वक़्त लोगो ने विवेक की कांफेरेंस में दिलचस्पी ली थी कारगिल के युद्ध से ज्यादा। तो मीडिया वही दिखा रहा है जो जनता चाहती है।
आज दर्शक ,पाठक ,श्रौता खुद ही उदासीन हो गया है। हम सब को पता है की मीडिया को उतनी ही स्वतंत्रता प्राप्त है जितनी की एक आम आदमी ,यानी की जो भारतीय संविधान में वरणित मौलिक आधिकार का अनुच्छेद १९(१) (अ) ( अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार )बताता है। इसका उपयोग मीडिया कर रहा है पर लोग नही कर रहे है। हम न्यूज़ पेपर पढ़ कर किनारे रख देते है, खबर देख कर भूल जाते है,समाचार सुनकर आपस में कुछ चर्चा करके मन की भड़ास निकाल लेते है पर ज़रा सा भी अपने अधिकार का प्रयोग नही करते। मीडिया के महज मुठ्ठी भर लोगो ने जनसंचार का ठेका ले रखा है। सब जानते है की खबरों को दबाने के लिए कौन कौन से पासे खेले जाते है। टुच्चे छाप के रिपोर्टर पता नही क्या लिखते ?क्या छापते है वही जान सकते है । रिपोर्टर न्यूज़ पेपर को बेचने के लिए , चैनल की टी आर पी बढाने के लिए खबरों को सनसनीखेज बनाने में लगे रहते है।
सच तो ये है की पूरी मीडिया गन्दी नही है बल्कि कुछ लोगो की वजह से यहाँ कर्त्तव्य बोध की कमी , अराजकता का माहौल है। कहते भी एक मछली पूरे तालाब को गन्दा कर देती है , मीडिया में न जाने कितनी मरी मछलिया है जो इस मीडिया हब को गन्दा कर रही है, बेसिर -पैर की खबरों को हम पर थोप रहे है, लोक विमर्श को संकुचित बना रहे है।
आखिर कब तक हम सोते रहेंगे कब हम अपने अधिकारों को जानेगे और आवाज़ उठाएंगे ?
बस वक़्त आ गया है संकल्प लेने का कि अब हम भी अपने अधिकारों का प्रयोग करेंगे। मीडिया के दोस्त नही आलोचक बनकर उससे सतर्क रहेंगे।

8 comments:

  1. ज्योति! आपकी बात से पूरी तरह सहमत हूँ ..वाकई जिस तरह किसी भी सामाजिक बुराई के लिए हम खुद ही जिम्मेदार होते हैं ,,उसी तरह मीडिया के इस रूप के लिए भी हम खुद ही जिम्मेदार हैं ,वो वही दिखाते हैं जो हम देखना चाहते हैं...पर क्या उनकी अपने पेशे के लिए कोई moral जिम्मेदारी नहीं बनती? और उनका क्या, जो असली ख़बरें देखना चाहते हैं ? मीडिया का असली रूप देखना चाहते हैं...बहुत दुर्भाग्य से कहना पड़ रहा है की आज ऐसे दर्शकों के लिए कोई आप्शन ही नहीं है ..बहुत अच्छी लगी आपकी पोस्ट

    ReplyDelete
  2. नैतिक मूल्यों का पतन प्रत्येक क्षेत्र में हुआ है ...ऐसे में मीडिया कब तक साफ़-सुथरा रह पाता !

    सामजिक सरोकार जैसी बातें पीछे छूटती जा रही हैं ! इसके बावजूद भी विगत कई वर्षों में मीडिया की सक्रियता की वजह से अनेकों हाई प्रोफाईल केस जनता के सामने आये ! अनेकों सामानांतर सरकार चलाने वाले कुख्यात लोग भी सिर्फ मीडिया की ही वजह से बेनकाब हुए और सीखचों के अन्दर बंद हुए ! दरअसल आज आवश्यकता है आचार संघिता बनाने की ! टी आर पी के चक्कर में सारे चैनल हडबडाये हुए हैं .... कहीं पीछे न रह जाएँ !

    जिम्मेदारी भरी सार्थक पोस्ट है ... अच्छा लगा

    ReplyDelete
  3. This comment has been removed by the author.

    ReplyDelete
  4. such a nice blog ......ek dum such likha hai

    ReplyDelete
  5. मुझे मालूम है आज बच्चा बहुत खुश है.... बच्चे को बहुत बहुत बधाई....

    ReplyDelete
  6. golmaal hai bhai sab golmaal hai...seedhe raste ki ye tedhi chaal hai...

    ReplyDelete
  7. शिखा जी कि बात को लगभग मैं कहना चाहता था.. बहुत ही सच्चा आलेख.. इसीलिए अमर उजाला को इसे चुनना पड़ा :) बधाई ज्योति..
    जय हिंद...

    ReplyDelete
  8. media ko lekar jinta kast aapko ye post likhte hua hoga ......usse jayda mughe ye post padhte hue ho raha hai ....ki media apni is hadd tak kaise pauch gaya.........

    bahut badhiya pekash aapki

    ReplyDelete