कहने को सब साथ होते है पर असल में हम तन्हाहोते है। साथ होती है सिर्फ़ हमारी सांसे, ह्रदय, भावनाएं, जज़बातऔर प्रकृति का हर तत्त्व जिनसे हमारा जीवन चलता है। रोज़ जब हम नज़रे उठाते है तो सिर्फ़ दूर तक तन्हाई ही नजर आती है। टूटे सपने, अधूरी ख्वाहिशे, बीरन मजिल, सूने रास्ते, उंघते दिन, सुबकती रातें, सब साथ होते है। हम इन के साथ बड़ी आसानी से जीते चले कहते है, बिना किसी से कहे, बिना किसी से बताये। आज हमे न जाने क्यों लगा की हम अपनी सांसों से उब गए है।
काश तन्हाई को पता होता कि वह कितनी तन्हा है, तो शायद बात कुछ और होती है.................
तब उसको पता चलता कि कैसे तन्हा रहा जाता है? कितना मुश्किल होता है एक एक पल गुज़रना एकदम तन्हा?
हमको ज़्यादा तो नही पता है पर हर इंसान अकेला, तन्हा, और परेशान होता है अन्दर से............
तन्हाई एक सुर में बड़ा बेसुरा गाना गाती है जिसमे ज़िन्दगी खो जाती है।
तन्हाई जितना दुःख देती है उतना ही ख़ुद को पाने का बड़ा सरल सा रास्ता भी दिखाती है। तन्हा रहकर हम ख़ुद को पहचान सकते है, ख़ुद को समझ सकते है। और हमारा मानना है कि हम ख़ुद को जान ले तो बाकि चीजे पाना आसान हो जाएगा।
काश तन्हाई को पता होता कि वह कितनी तन्हा है, तो शायद बात कुछ और होती है.................
तब उसको पता चलता कि कैसे तन्हा रहा जाता है? कितना मुश्किल होता है एक एक पल गुज़रना एकदम तन्हा?
हमको ज़्यादा तो नही पता है पर हर इंसान अकेला, तन्हा, और परेशान होता है अन्दर से............
तन्हाई एक सुर में बड़ा बेसुरा गाना गाती है जिसमे ज़िन्दगी खो जाती है।
तन्हाई जितना दुःख देती है उतना ही ख़ुद को पाने का बड़ा सरल सा रास्ता भी दिखाती है। तन्हा रहकर हम ख़ुद को पहचान सकते है, ख़ुद को समझ सकते है। और हमारा मानना है कि हम ख़ुद को जान ले तो बाकि चीजे पाना आसान हो जाएगा।
"कहने को सब साथ होते है पर असल में हम तन्हा होते है।"
ReplyDeleteशायद यही सच है क्योकि हम जिसके साथ है उसे जानते ही कितना हैं. भीड तो शायद और तनहाई दे जाती है.
बहुत अच्छी अभिव्यक्ति
शायद ही.....
ReplyDeleteक्योकि हम तनहा तभी होते है जब दिल किसी को इस तनहाई से दूर करने के लिए खोजता है और या तो वो मिलता नही है..... या जो मिलता है वो आशा अनुरूप नही होता है......
वैसे तनहाई की सुन्दर व्याख्या की है आपने.......
भीड़ में भी तन्हा हैं
ReplyDeleteएक में अकेले हैं ,जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं
वर्ड वेरीफिकेशन हटाने के लिए:
डैशबोर्ड>सेटिंग्स>कमेन्टस>Show word verification for comments?> इसमें ’नो’ का विकल्प चुन लें..बस हो गया..कितना सरल है न हटाना और उतना ही मुश्किल-इसे भरना!! यकीन मानिये!!.
तब उसको पता चलता कि कैसे तन्हा रहा जाता है? कितना मुश्किल होता है एक एक पल गुज़रना एकदम तन्हा?
ReplyDeleteहमको ज़्यादा तो नही पता है पर हर इंसान अकेला, तन्हा, और परेशान होता है अन्दर से............
-क्या बात कही है..वाह!!
टूटे सपने, अधूरी ख्वाहिशे, बीरन मजिल, सूने रास्ते, उंघते दिन, सुबकती रातें, सब साथ होते है। हम इन के साथ बड़ी आसानी से जीते चले कहते है, बिना किसी से कहे, बिना किसी से बताये।
ReplyDeleteबहुत सही लिखा है !!
waaqai mein bahut mushkil hota hai ek ek pal tanha guzaarna.......
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Regards...
अव्यक्त को कैसे लिखा जाये मुझे समझ नहीं आया आपने फिर भी शब्दों को काबू में कर ही लिया है,
ReplyDeleteफ़रहत शहजाद याद आ रहे हैं...
तनहा तनहा मत सोचा कर
मर जावेगा मत सोच कर
धूप में तनहा कर जाता है
क्यूं ये साया मत सोचा कर
प्यार घडी भर का ही बहुत है
झूठा-सच्चा मत सोचा कर....
ये सोच ही है जो इंसान को दुसरे इंसान से अलग करती है तन्हाई को दुसरे तरीके से सोचने के लिए बधाई
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