न हम बदले न तुम बदले बस ज़िन्दगी बदल गयी
उस दिन भी हम अकेले थे आज भी अकेले है
बस हर रोज़ एक नया दिन नयी रात निकल गयी
आने वाला कल बड़ा बेहतर है आज से
आज से पहले, यूँ समझो कि दुखों कि बारात निकल गयी
कुछ जुबां से न कहो तो ही सही है
जुबां से निकली बात 'आई- गयी' हो गयी,
किस कमोवेश प्यार किया साकी से ,
कि सारी उम्र खाली जाम लिए गुज़र गयी ,
और फिर सबने कहा ज़िन्दगी इसी का नाम है