दर्द का रास्ता छोड़ कर मंजिलों से हमने कहा थोडा दूर चली जाये, रास्ता कम लगता है हमारे पैरों को चलने के लिए...

Sunday, January 31, 2010

एक लड़की...साहसी होती है तभी तो....


एक लड़की सुनहरी परी बन कर दुनिया में आती है,

गुडिया-गुड्डे, रसोई-बर्तन से अपनी सहेलियों संग खेलती है,

एक दिन नन्ही से जान को अहसास होता है कि वो 'लड़की' है,

बस तभी से वह डरने लगती है,

उसको डर है कोई उसे छू न ले,

उसको डर है घूरती चुभती आँखों से ,

हर तरफ से खुद को बचाने की जंग लडती है,

घर की चहारदीवारी में ही खुद को सुरक्षित पाती है,

अपनी भावनाओ को दीवारों पर सजाती है,

बाहर निकल कर हवस भरी नज़रों को दुत्कारती है,

नज़रों के पीछे छिपे खंजर से ज़ख़्मी मन को सहलाती है,

'दुनिया में हर कोई बुरा नही है' यही खुद को रोज़ समझाती है,

वर्षों से संभाले दिल को एक अजनबी से लगाती है,

जल्द ही उसको अहसास होता है कि 'वो' नही था उसके विश्वास का हक़दार,

यही सोच कर ज़िन्दगी भर पछताती है,

आंसू उसकी कमजोरी नही लड़की का गुण है,

आंसूओ को धोखा खाने पर बहाती है,
रोने से मन हल्का होता है जानती है,

पैदा होने से लेकर मरने तक लडती ही रहती है,

उम्मीद का दामन थामे आगे ही आगे बढती जाती है।

12 comments:

  1. बहुत सुन्दर भाव हैं अभी कविता को संवरने मे कुछ वक्त लगेगा। लिखती रहें। शुभकामनायें

    ReplyDelete
  2. नारी की वेदना को व्यक्त करती ,अच्छी रचना

    ReplyDelete
  3. aapki ye rachna imandari se likhi gayi nari vedna ko prastut karta hay..
    shabdon dwara bhawnaaon ka shandar chitran.

    bahut bahut badhai..

    ReplyDelete
  4. लड़किओं के डर और उनकी सामजिक स्थिति पर सही दिशा में चिंतन करती प्रविष्टि ....

    ReplyDelete
  5. अबोध को यह महसूस कराया जाता है कि वह लड़की है और यहीं से शुरु कर दिये जाते है । उसकी सीमाओं के अंकन।
    अच्छा लिखा है!

    ReplyDelete
  6. laqdkiyon ko bhay mukt kariyae aur kavitaa kuchh aseii likhiyae ki padh kar har ladki ghar sae bahar nikal kar apnae paero par khadii ho sakae

    ReplyDelete
  7. लिखना लिखने से आता है जारी रखें

    ReplyDelete
  8. लड़की और लड़के में भेद ये समाज ही पैदा करता है..बस तभी से लड़की का पूरा व्यक्तित्व ही बदल जाता है!देश के अधिकांश हिस्सों में गिरता लिंग अनुपात स्थिति की भयावता दर्शाता है,काश हम अभी भी चेत जाएँ...

    ReplyDelete
  9. बहुत बढ़िया .......लिखा आपने

    ReplyDelete
  10. nari peedha ko bahut khubruti se prastut kiya hai, keep it up.

    ReplyDelete
  11. बहुत बढ़िया .......लिखा आपने

    ReplyDelete